किसी मामले में अगर कोई जेल की सजा काटता है तो उसे उम्मीद रहती है कि सजा पूरी होने के बाद वह अपने घर जा सकेगा। लेकिन राजधानी लखनऊ स्थित महिलाओं के लिए बनी ‘नारी निकेतन बंदी गृह’ जेल में लापरवाह अधिकरियों की वजह से महिलाएं सजा पूरी होने के बाद भी महीनों से अभी भी सलाखों के पीछे कैद हैं।

यह है पूरा मामला

  • जानकारी के मुताबिक, कानपुर जिलें की रहने वाली रामकली रघुनंदन पिछले चार वर्षों से सजा काट रही है।
  • सूत्रों की मानें तो इनकी सजा 12 मार्च 2017 को पूरी होने के बाद भी वह जेल में कैद है।
  • इसके अलावा सहारनपुर जिले की रहने वाली नसरीन जुहैब की सजा 18 जनवरी 2017 को समाप्त हो गई लेकिन वह भी सलाखों के पीछे कैद है।
  • वहीं रामश्री मिश्र भी सलाखों के पीछे सजा।
  • सजा समाप्त होने के बाद भी यह जेल में कई महीनों तक रही।
  • दो दिन पूर्व उनको जेल से रिहा किया गया।
  • लाचारी कहें या फिर बेबसी दो माह बाद तक वह जेल में कैद हैं जबकि तीसरा मामला रामश्री मिश्र का है।

कैदियों की गरीबी का फायदा उठा रहा जेल प्रशासन

  • बताया जा रहा है कि कई कैदियों की गरीबी का फायदा भी जेल प्रशासन खूब उठा रहा है।
  • रामश्री के मामले में जब मामला उजागर हुआ तो वरिष्ठ माडल जेल अधीक्षक अमरीश गौड़ और डिप्टी जेलर अंजली वर्मा की घोर लापरवाही सामने आई।
  • इस मामले में गौड़ ने सफाई पेश करते कहा कि रामश्री के पास जुर्माना नहीं था तो एक हजार रुपये प्रतिमाह पर उन्होंने कार्य किया।
  • जेल सूत्रों की मानें तो कई कैदियों की जुर्माना रकम अधिकारी हड़प कर बैठ जाते हैं।
  • इन कैदियों की रिहाई के बजाय जेल प्रशासन कैदियों का शोषण करते हैं।
  • इसके बाद सजा पूरी होने के बाद भी उनसे काम करवाते हैं और उन्हें जेल में कैद रखते हैं।
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