जिला महिला चिकित्सालय में विश्व स्तनपान सप्ताह एवं सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का किया गया आयोजन।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने फीता काटकर गोष्ठी का किया शुभारंभ।

#उन्नाव –

शिशु के लिए स्तनपान सर्वोत्तम आहार तथा शिशु का मौलिक अधिकार है। मां का दूध शिशु के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह शिशु को डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।

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स्तनपान की महत्ता तथा शिशु एवं बाल मृत्युदर में कमी हेतु उसके प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुए यह आवश्यक है कि नवजात शिशु को जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान प्रारंभ करा देना चाहिए । मां का पहला गाढ़ा ,पीला दूध जिसे पीयूष या अमृत कहा जाता है,जरूर देना चाहिए यह बच्चे का पहला प्राकृतिक टीका है। नवजात शिशु को 6 माह तक केवल स्तनपान कराया जाए तथा 6 माह पूरा होने पर संपूरक आहार देना प्रारंभ किया जाए एवं शिशु के 2 वर्ष पूरे होने तक स्तनपान जारी रखा जाए ।उक्त जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सत्य प्रकाश ने जिला महिला चिकित्सालय के सभागार में विश्व स्तनपान सप्ताह एवं सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित धात्री महिलाओं की संगोष्ठी में दिया। इसके पूर्व उन्होंने फीता काटकर संगोष्ठी का शुभारंभ किया।
धात्री माताओं को अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर आरके गौतम, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अनूप अग्रवाल, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ अंजू दुबे ने विस्तार से स्तनपान के महत्व के बारे में जानकारी दी।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अनूप अग्रवाल ने बताया कि नवजात शिशु को लेट कर दूध नहीं पिलाना चाहिए ,इससे बच्चे में कान बहने की समस्या हो सकती है। बैठकर दूध पिलाएं तथा दोनों तरफ स्तनपान कराएं । यह बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है और मां को स्तन कैंसर एवं गर्भधारण होने से रोकता है। स्तनपान कराने से मां एवं शिशु के बीच भावनात्मक लगाव होता है ।उन्होंने बताया कि नवजात शिशु को ऊपरी दूध या डिब्बा का दूध,घुट्टी नहीं देना चाहिए।
कोविड प्रोटोकॉल के तहत हाथ को अच्छी तरह से धुलने के उपरांत नवजात को दूध पिलाएं और मास्क का प्रयोग करे तथा सामाजिक दूरी का पालन जरूर करें। इससे मां और नवजात शिशु दोनों सुरक्षित रहेंगे।
अपर मुख्य अधिकारी डॉक्टर आरके गौतम ने बताया कि 2 अगस्त से 14 अगस्त तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है इसका उद्देश्य बाल्यावस्था में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में दस्त से होने वाली 10% मृत्यु को निम्नलिखित तरीकों को अपनाकर रोका जा सकता है। उन्होंने बताया की बाल्यावस्था में दस्त के दौरान ओ आर एस एवं जिंक उपयोग के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के मध्य दस्त के प्रबंधन एवं उपचार हेतु गतिविधियों को बढ़ावा देना है तथा लोगों को जागरूक करना है। ओ आर एस एवं जिंक सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। उन्होंने बताया की स्वच्छता, हाथों को साफ रखने से विभिन्न रोगों से परिवार को सुरक्षित किया जा सकता है। इस पखवाड़े के दौरान आशा एवं ए एन एम द्वारा लोगों को जानकारी देने के साथ-साथ ओ आर एस एवं जिंक टेबलेट घरों तक पहुंचाया जाएगा।
धात्री माताओं को फल वितरित किया गया।
संगोष्ठी में सी एम एस ड्रा अंजू दुबे,अपर मुख्य अधिकारी डॉक्टर आरके गौतम, डॉक्टर नरेंद्र सिंह,ड्रा ललित कुमार, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अनूप अग्रवाल, डी एच ई आई ओ लाल बहादुर यादव, यूनिसेफ से जिला कोऑर्डिनेटर दिलशाद अहमद, सुरेश गौतम सहित धात्री माताएं उपस्थित रहे ।

Report – Sumit

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