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विश्व गौरैया दिवस विशेषः रिटायर्ड बैंक कर्मी का घर बना गौरैया का आशियाना

कानपुर में गौरैया नाम से फेमस रिटायर्ड बैंक कर्मी अब तक 65 बार रक्त दान कर समाज में अपनी पहचान बना चुके है। गौरैया दिवस इनकी फैमली में खास महत्व रखता है। इन्होंने गौरैया के लिए अपने घर में बड़ी संख्या में घोसले बना रखे है। जिनमें उन्हें दाना पानी रहता है और प्यासे पक्षी आते हैं, पानी पीते है और दाना खाकर उड़ जाते है। पूरा परिवार इन पक्षियों की देख-रेख में लगा रहता है। गौरैया के लिए यह प्यार उन्हें विरासत में मिला है।

देहदान का लिया है शपथ

किदवई नगर थाना क्षेत्र स्थित साइड नंबर वन में रहने वाले प्रकाश धवन एसबीआई बैंक से सीनियर असिस्टेंट के पद से रिटायर्ड है। परिवार में पत्नी नीता धवन और दो बेटे रवि व् रजत के साथ रहते है। रवि भाभा से पीएचडी की पढाई कर रहा है वही छोटा बेटा रजत बीटेक करने के बाद नौकरी कर रहा है। धवन दम्पति समाजसेवी है और पति पत्नी युग दधीची संस्था को देह दान की शपथ भी ले चुके है। प्रकाश धवन ने 65 बार रक्त जरूरत मंदों को रक्त कर चुके हैं।

गौरैया के आवाज से चहकता है पूरा घर

प्रकाश धवन का कहना है कि जब मै छोटा था और मेरी माँ खाना बनाती थी तब देखता था कि सैकड़ों चिड़िया घर के आंगन में आती थी। मेरी माँ आंगन में उनके लिए चावल व् आटे की गोलिया बनाकर फेकती थी और गौरैया खाती थी। उनकी आवाज से पूरा घर चहक उठता था यह देखकर मै बहुत खुश होता था। जब मैं नौकरी करने लगा और कानपुर में रहने लगा तभी भी मैंने उनके लिए कई घोसले लगाये थे, लेकिन जॉब की वजह से मै उन्हें समय नहीं दे पाता था। कई बार गौरैया आई कमरे में चल रहे पंखे से कट कर उनकी मौत हो गई यह देखकर मै बहुत आहत हुआ।

रिटायरमेंट के बाद शुरू किया गौरैया के लिए काम

लेकिन जब बैंक से रिटायर्ड हुआ तो मैंने 2010 में गौरैया के लिए काम करना शुरू किया। 2010 से ही गौरैया दिवस भी मनाया जाने लगा। जब मुझे इस बात का अहसास हुआ कि गौरैया विलुप्त हो रही है ,फिर मैंने इनके लिए बहुत प्रयास किया। पूरे घर में घोसले लगाये उनके लिए दाना पानी की व्यवस्था की। अब मेरे घर पर रोजाना दो से ढाई हजार पक्षी खाना पानी खाने आते है। इस काम में मेरी पत्नी मदद करती है वह इनकी देखभाल करती है।

बीमार पक्षियों की करतें हैं देखभाल

यदि कोई पक्षी बीमार हुआ और घोसले में है तो उसे डॉक्टर को भी दिखाते है उनका उपचार कराते हैं। जब वह स्वस्थ्य हो जाते है तो फिर से नीले असमान में उड़ने लगते है। शाम के वक्त बड़ी संख्या में पक्षी बसेरा के लिए आते है, इनकी देखभाल हम लोग अपने बच्चों की तरह करते है। इनकी चहक से ही हमारे परिवार की नींद खुलती है।

समाज को देना चाहते हैं संदेश

उन्होंने बताया कि हम देहदान के लिए भी शपथ ले चुके है। हमारे शरीर से आने वाली पीढ़ी को कुछ सीखने को मिलेगा। समाज के लिए कुछ न कुछ करते रखना चाहिए। उन्होंने कहा मैं समाज को यही सन्देश देना चाहता हूँ कि अपने-अपने घर पर घोसला लगाकर गौरैया को सरंक्षण दे। विलुप हो रही इस प्रजाति को बचाने का यही तरीका है।

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