वटवृक्ष की पूजा कर सुहागिनों ने की पति की लंबी उम्र की कामना ।

वट वृक्ष को कच्चा धागा बांध मांगा पति के लिए आशीर्वाद, सुहागिनों ने की वट वृक्ष की पूजा।

पूजा अर्चना के बाद कच्चा सूत्र बांध वट वृक्ष की परिक्रमा की
आरती के बाद वृक्ष के गले मिलकर पति की लंबी आयु की कामना की

माना जाता है कि वट सावित्री व्रत के दिन सावित्री यमराज से अपने पति के प्राण वापस लेकर आई थीं

वट वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण कियासुहागिनों ने की वट वृक्ष की पूजा।

बरसात और कोविड के चलते कम रही बरगद के पेड़ों के पास भीड़

हिंदी पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को किया जाता है।

इस दिन विवाहित औरतें वट वृक्ष की पूजा करती हैं।

इस पूजा का मुख्य उद्देश्य अपने पति की लंबी उम्र की कामना करना और अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाना होता है।

वट सावित्री व्रत सौभाग्य प्राप्ति के लिए एक बड़ा व्रत माना जाता है।

इस व्रत को उत्तर भारत के कई इलाकों जैसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उड़ीसा में भी मनाया जाता है।

वहीं महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिणी भारतीय राज्यों में इसके 15 दिन बाद यानी ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को वट सावित्री व्रत रखा जाता है।

क्यों की जाती है बरगद के वृक्ष की पूजा?

वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है।

हिंदू धर्म में बरगद का वृक्ष पूजनीय माना जाता है।

शास्त्रों के अनुसार, इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है।

इस वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

यही कारण है कि इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा शुभ मानी जाती है।

वट का पारण 11 जून दिन शुक्रवार को किया जाएगा।

Report – Manoj,Sumit,Ashish

 

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