जैसे-जैसे 21 जून इंटरनेशनल योगा डे बेहद करीब है, लोगों में योग के प्रति जबरदस्त उत्साह बन रहा है। जहां पूरी दुनिया में 21 जून को योग के लिए बड़े-बड़े आयोजन होंगे वहीं लखनऊ, बरेली समेत उत्तर प्रदेश के तमाम चर्चित जनपद भी इन आयोजनों में पीछे नहीं है।

21 जून को ‘योगा डे’ के मौके पर उत्तर प्रदेश के तमाम जनपदों में विशेष आयोजन

इसी क्रम में बरेली में भी 21 जून को जगह-जगह योग के आयोजन किए जा रहे हैं. आयुष मंत्रालय समेत तमाम छोटे-बड़ी संस्थाएं 21 तारीख की तैयारी में लगी हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों को 21 जून को योग कराया जा सके जिससे लोग उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाये।

योग के जरिये अपने जीवन को रखें तनाव मुक्त : लाइफ आर्ट एक्सपर्ट

लाइफ आर्ट एक्सपर्ट विशेष कुमार से बताया कि कैसे आज की व्यस्तम जीवनशैली में व्यक्ति योग के माध्यम से अपने आप को तनाव मुक्त रख सकता हैं। और कैसे योग का शरीर के सातों चक्रो पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

बताते चलें लाइफ आर्ट एक्सपर्ट विशेष कुमार हीलिंग साइंस,एनर्जी साइंस,योग,मेडिटेशन से अब तक सैकड़ो लोगो को तनाव डिप्रेशन से बाहर ला चुके है। जो अब खुशनुमा जिंदगी जी रहे हैं।

वहीं uttarpradesh.org से बातचीत के दौरान लाइफ़ आर्ट एक्सपर्ट विशेष कुमार ने बताया कि शरीर के मौजूदा सातों चक्रों के लिए अलग-अलग योगासन है।

यदि उचित खानपान के साथ इन योगासनों पर ध्यान दिया जाए तो व्यक्ति अपने सातों चक्रों को योग के माध्यम से ही हील कर सकता है। आपको बता दें कि हील का सामान्य अर्थ है, कि शरीर में मौजूद चक्रों को कैसे उभारें, या लाभ पहुंचाएं।

जानिये, सातों चक्रों के लिए अलग-अलग विशेष योगासन

सबसे पहला चक्र ‘मूलाधार चक्र’ है, जिसके लिए ‘वृक्षासन’ है। इसका रंग लाल होता है मन की चंचलता, तनाव को दूर करता है। चिंता-भय से मुक्त करता है। व्यक्ति की कुण्डलनी भी इसी चक्र में विराजमान होती है।

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दूसरा ‘स्वाधिष्ठान चक्र’ जिसके लिए ‘उत्कट कोणासन’ है, जिसको देवी मुद्रा भी कहते हैं।जिसका रंग नारंगी होता है। इसको करने से
मांसपेशियां मजबूत होती हैं। घुटने कूल्हे व पीठ की तकलीफों के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

तीसरा चक्र ‘मणिपुर चक्र’ होता है, जिसका रंग पीला होता है, जिसके लिए ‘वीरभद्रासन’ है। इस आसन से आत्मविश्वास बनता है पैरों को मजबूती प्रदान करता है व फेफड़ों के लिए विशेष लाभकारी होता है।

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चौथा चक्र ‘हृदय चक्र’ है जिसका रंग हरा है, इसके लिए ‘उष्ट्रासन’ है, उष्ट्रासन से पाचन शक्ति मजबूत होती है व रीढ की हड्डी को लचीला बनाती है। साथ ही साथ ह्रदय के लिए भी बेहद लाभकारी होता है।

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पांचवा चक्र ‘विशुद्धि चक्र’ है, जिसका रंग हल्का आसमानी होता है, इसके लिए ‘सर्वांगासन’ है। इससे पूरे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है इस आसन को सभी आसनो की माँ भी कहा जाता है। इसको करके व्यक्ति हर्ष और उल्लास से भर जाता है।

छटा चक्र ‘आज्ञा चक्र’ है जिसमें गुरुतत्व व शिव तत्व होता है। जिसका रंग गहरा नीला होता है जिसके लिए ‘पर्वतासन’ होता है इसको करने से कंधे के दर्द, फेफड़े सम्बन्धी व रक्त विकार सम्बंधि दिक्कतो में फायदा मिलता है साथ ही साथ तनाव कम कर निर्णयन क्षमता बढ़ती है।

सांतवा आखिरी चक्र ‘सहस्त्रात चक्र’ होता है जो परम आनंद का केंद्र भी है जिसका रंग बैगनी होता है, जिसके लिए ‘शीर्षासन’ है जिसको करने सिरदर्द, माइग्रेन, डायबटीज में काफी फायदा मिलता है साथ ही साथ बाल झड़ने से रोकता है और चेहरे पर चमक लाता है।

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उन्होंने ये भी बताया सभी आसनों को योग प्रशिक्षक के संरक्षण में सीखकर ही अभ्यास करना चाहिए।
भौतिक जगत में उन्नति करने के लिए नीचे के तीनों चक्रों का सही होना आवश्यक है और आध्यात्मिक जीवन में उन्नति के लिए ऊपर के तीनों चक्रों का सही होना आवश्यक है।

योग के माध्यम से व्यक्ति के सातो चक्र हील हो जाते और व्यक्ति का औरा अर्थात आभामंडल भी सकारात्मक हो उठता है।

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