अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी में योग प्रशिक्षक जुट गये हैं. इसके लिए गंगा में योगाभ्यास हो रहा है. योग करने और सीखने वालों की भीड़ लगना शुरू हो गयी है. योग हमारी जीवनशैली में परिवर्तन ला कर न केवल हमारे अंदर जागरूकता उत्पन्न करता है, बल्कि प्राकृतिक परिवर्तनों से शरीर को होने वाले बदलाव को सहन करने में सहायक होता है। 

रेत पर योग से मिले अधिक लाभ: 

योग प्राचीन भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। मान्यता है कि भगवान शिव योग विद्या के प्रथम गुरु / आदियोगी हैं।  हजारों हजार वर्ष पूर्व हिमालय के कांति सरोवर झील के किनारे आदि योगी ने योग का गूढ़ ज्ञान पौराणिक सप्तर्षियों को दिया था।

बाद में इन्हीं सप्तर्षियों ने इस योग को पूरे विश्व में फैलाया। आज उसी योग के फायदों से पूरा विश्व कायल हो गया।

उन्हीं पारंपरिक आधार पर मिर्जापुर में माँ गंगा की गोद मे बैठकर योगाभ्यास किया जा रहा है। गंगा के बीच बने रेत पर योग प्रशिक्षक लोगों को इसका अभ्यास करा रहे हैं ।

गंगा के बीच की रेत में चल रहा योगाभ्यास इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। रेत मे योगा कराने वाले योग गुरु ने बताया की, योगऋषिओ ने नदी और सागर के किनारे की जगह को योगा के लिए अति उत्तम बताया है।

उन्होंने कहा कि अगर कोई रेत में योगा करता है तो उसे बहुत ही जल्द इसका लाभ प्राप्त होता है. इसलिए हम यहां पर लोगों को रेत में योगा करा रहे हैं। योगा करने वाले व्यक्ति आंतरिक दरिद्रता से मुक्त होता है उसे तनाव, व्याधि और रोग से मुक्ति मिल जाती है यानी कि वह पूर्ण रूप से स्वस्थ होता है.

योग गुरु ने ये भी बताया कि नियमित योगाभ्यास करने से आदमी को कभी भी दवाइयों की जरूरत नहीं पड़ती और वह आजीवन स्वस्थ रहता है. योग की महत्ता को देखते हुए ही 21 जून का दिन पूरे विश्व में योग दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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