बलरामपुर अस्पताल ने अपना 150वां गौरवमयी स्थापना दिवस सोमवार 4 फरवरी को धूमधाम से मनाया। इस दौरान आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अस्पताल पहुंचे। सीएम योगी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सीएम योगी ने अस्पताल और यहाँ आने वाले मरीजों को कई सौगातें दी। कार्यक्रम के दौरान कैबिनेट व राज्य स्तर के मंत्री, शासन के उच्च अधिकारी, कई डॉक्टर, कर्मचारी और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। कार्यक्रम में पीजीआई के न्यूरो मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील प्रधान व अन्य प्रमुख वक्ताओं ने व्याख्यान दिया। स्थापना दिवस पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी हुआ।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]सीएम ने दी अस्पताल को कई सौगातें[/penci_blockquote]
अस्पताल के निदेशक डॉ राजीव लोचन ने बताया कि अस्पताल के स्थापना दिवस पर दोपहर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मरीजों को कई सौगातें दी। इनमें नए सीटी स्कैन, वृद्धजन वार्ड, आईसीयू, नई एम आर आई मशीन लगाने के लिए नए भवन का लोकार्पण मुख्यमंत्री ने किया। निदेशक ने बताया कि इस मौके पर मरीजों को सुविधा देने के लिए नई 16 स्लाइड सीटी स्कैन मशीन लगाई जा रही है। वृद्धजनों को बेहतर इलाज के लिए 10 बेड का वृद्धजन वार्ड बनाया जा चुका है। गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू व वेंटीलेटर का लोकार्पण हुआ। नई एमआरआई मशीन लगाने के लिए भवन के निर्माण हेतु करीब 96 लाख रुपए दिए जा चुके हैं। यह सारे लोकार्पण मुख्यमंत्री से कराये गए हैं।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा बलरामपुर अस्पताल[/penci_blockquote]
बता दें कि अस्पताल इस समय डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। इसलिए डॉक्टरों की कमी दूर होने के साथ ही जांच से संबंधित मरीजों के लिए कई नई मशीनों व सुविधाओं का लोकार्पण भी किया गया। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशू चतुर्वेदी ने बताया कि प्रदेश के सबसे बड़े जिला अस्पताल बलरामपुर में राजधानी के सिविल, लोहिया, लोकबंधु राजनारायण अस्पताल से काफी कम डॉक्टर वर्तमान में तैनात हैं। अस्पताल में 64 स्थायी वरिष्ठ डॉक्टर हैं। जबकि रीअपॉइनमेंट में 12 और संविदा के चार डॉक्टर तैनात हैं। करीब 100 से 150 के बीच इंटर्न डॉक्टर हैं। जबकि इन सभी अस्पतालों से ज्यादा मरीज ओपीडी में इलाज के साथ वार्डों में भर्ती किए जाते हैं।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]प्रांतीय चिकित्सा सेवा का प्रदेश का सबसे बड़ा है बलरामपुर अस्पताल[/penci_blockquote]
बलरामपुर अस्पताल प्रांतीय चिकित्सा सेवा का प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां मौजूदा समय में 776 बेड हैं। पिछले 1 वर्ष में यहां पर 7 दिनों 24 घंटे पैथोलॉजी जांच की सुविधा, ओपीडी काउंटर की संख्या 6 से बढ़ाकर 12 की गई। सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में 70 बेड बढ़ाए गए। टू-डी इंडोस्कोपी तथा टीएमसी की सुविधा शुरू की गई।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]वर्ष 1869 में की गई थी अस्पताल की स्थापना[/penci_blockquote]
अस्पताल की स्थापना 1969 में हुई थी। तब इसे रेजीडेंस हिल डिस्पेंसरी के नाम से जाना जाता था। वर्ष 1901 और 2 में बलरामपुर के राजा बहादुर सर भगवती प्रसाद सिंह ने धनराशि उपलब्ध कराई। इससे डिस्पेंसरी का विस्तार हुआ। ट्रस्ट बनाकर बलरामपुर अस्पताल बनाया गया। शुरुआत में अस्पताल में 10 बेड थे इनमें से सात बेड यूरोपियन मरीजों के लिए थे। 3 बेड पर भारतीय मरीज भर्ती किए जाते थे। फरवरी 1948 में अस्पताल को सरकार ने ले लिया। उस वक्त यहां 3 वार्ड बॉय, एक लिपिक व 50 नर्सें थीं। बलरामपुर अस्पताल में 1869 में अंग्रेजों को वीवीआइपी उपचार मिलता था। भारतीय मरीजों को सामान्य उपचार मिलता था। अंग्रेजों के लिए अलग से यूरोपियन बना था। अंग्रेजों के लिए अलग से डॉक्टर भी हुआ करते थे।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]एक नजर में बलरामपुर अस्पताल[/penci_blockquote]
अस्पताल में 756 बेड हैं।
करीब 80 से अधिक डॉक्टर हैं।
ओपीडी में रोजाना सात से आठ हजार मरीज आते हैं।
रोजाना 80 से 100 मरीज इमरजेंसी से लेकर वार्ड में भर्ती होते हैं।
सातों दिन 24 घंटे पैथालॉजी, सीटी व एक्सरे जांच की सुविधा।
दंत रोग विभाग का उच्चीकरण, सात एमडीएस की तैनाती की गई।

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