उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हिंदुत्व का चेहरा माना जाता है। विभिन्न प्रदेशों में भाजपा के स्टार प्रचारक के रूप में चुनाव प्रचार के लिए जाते रहे हैं, लेकिन हिंदुत्व का यह चेहरा अपनी ही सीट गोरखपुर के उपचुनाव में करारी शिकस्त पाया था। गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी की हार के साथ-साथ फूलपुर में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी भाजपा की इज्जत नहीं बचा सके। वहीं हार सिलसिला जारी रहा और कैरान और नूरपुर में भी भाजपा अपनी सीट गंवा बैठी।

अति आत्मविश्वास के कारण गोरखपुर-फूलपुर सीट हारी थी भाजपा

गोरखपुर और फूलपुर में भाजपा की बड़ी हार के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि भाजपा का अतिआत्मविश्वास ही उसके हार कर कारण बनी। माना जा रहा था कि यह योगी सरकार और भाजपा के लिए गोरखपुर-फूलपुर उपचुनाव में मिली हार से सीख लेगें और भाजपा अपनी हार के सिलसिले पर विराम चिन्ह लगाएगी। लेकिन नूरपुर और कैराना में मिली करारी शिकस्त ने एक बार फिर योगी के नेतृत्व और राजनीति पर सवाल खड़ा कर दिए हैं।

योगी के बयान से भड़क गए थे जाट

कैराना के लिए तो कहा जा रहा है कि योगी का एक भाषण ने वहां भाजपा को ले डूबा। कैराना में भाजपा की जीत के लिए जाट वोट सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा था। जाटों ने पिछले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में भाजपा का साथ देकर इसे साबित भी किया था, लेकिन जब उपचुनाव के लिए प्रचार करने योगी कैराना पहुंचे तो वहां उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया जिससे जाट वोट भाजपा के खिलाफ हो गया।

दरअसल आरएलडी के जाट नेता अजीत सिंह ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक रखी थी। क्योंकि यह उनके वर्चस्व की लड़ाई बन गया था। चुनाव के लिए विपक्ष का प्रत्याशी भी आरएलडी की ओर से दिया गया था।

लेकिन जाटों के लिए उहापोह की स्थिति बन गई थी कि वो किसके साथ रहें अजीत सिंह या फिर भाजपा के साथ बने रहें। मुजफ्फरनगर दंगों में जाटों के खिलाफ मामले वापस लेने का तुरुप भाजपा ने भी खेला। इससे जाटों में मुसलमानों के खिलाफ वोट देने और भाजपा के साथ खड़े होने की गुंजाइश भी बनती नजर आई।

ये थी योगी आदित्यनाथ की गलती

शामली में अपनी आखिरी रैली को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ के बयान की कीमत भाजपा को हारकर चुकानी पड़ी। योगी ने इस रैली को संबोधित करते हुए कहा- ‘‘बाप-बेटा (अजीत सिंह और जयंत) आज वोटों के लिए गली-गली भीख मांग रहे हैं’।

जाटों के एक नेता के बारे में ऐसे शब्द बिरादरी के लोगों को कतई पसंद नहीं आया। उन्हें लगा कि बाहर का एक आदमी उनके घर में उनके अपने भाई और बेटे का इतना अपमान करके कैसे जा सकता है। जिस कारण जाटों में विरोध की धारा बहने लगी।

भावुकता और तेवर के लिए जानी जाती है जाट बिरादरी

जाट बिरादरी अपनी भावुकता और तेवर के लिए जानी जाती है। माना जा रहा है कि योगी के इस बयान के यह बात कई लोगों को चुभ गई। जिसका खामियाजा भाजपा को हार से भुगतना पड़ा। भाजपा और मुख्यमंत्री योगी में एक बार फिर अति आत्मविष्वास देखने को मिला।

जाटों के अस्मिता और सम्मान से जोड़ा योगी का बयान

इस अवसर को भुनाने में आरएलडी व जाट नेता अजीत सिंह ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और जाटों के षान और इज्जत से जोड़कर जाटों को अपने पाले में कर लिया। इस दौरान आरएलडी उम्मीदवार तबस्सुम हसन के बहाने चैधरी अजीत सिंह ने अपने सियासी वजूद को बचाने के लिए इस चुनाव में दिन रात एक कर दिया था।

जाट समुदाय के घर-घर जाकर अजीत सिंह और उनके बेटे जयंत सिंह ने तबस्सुम के लिए वोट मांगे थे। उन्होंने जाटों को बार-बार याद दिलाया कि यह बिरादरी की अस्मिता और सम्मान का प्रश्न है। अजीत सिंह की इन बातों के प्रति योगी के बयान ने आग में घी का काम किया और नतीजा आपके सामने है।

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