डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जिन्हें हम बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम से भी जानते हैं देश के संविधान के निर्माता हैं या यूं कहें कि वे संविधान के जनक हैं. वैसे तो उनके बारे में बहुत तरह की प्रचिलित कहानियां हैं.
उनमे से कुछ कहानियाँ ऐसी हैं जो उनके जीवन व उनकी महान विचार धारा पर प्रकाश डालती हैं. परंतु बहुत कम कहानियाँ ऐसी हैं जो उनके संविधान निर्माण में योगदान और इस दौरान उनके द्वारा तय किये गए एक लंबे सफ़र के बारे में कहती हैं. आइये जानते हैं कि किस तरह से देश में एक संविधान का निर्माण हुआ और किस तरह बाबा अम्बेडकर का उसमे योगदान रहा है.
बाबा अम्बेडकर का शुरुआती जीवन :
- बाबा अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल को सन 1891 को मऊ में हुआ था जो अब मध्यप्रदेश का भाग है.
- वे अपने माता-पिता की 14वीं संतान थे और उनके पिता सेना में सूबेदार थे.
- बता दें कि यह वो समय थे जब देश में जातिवाद अपनी चरमसीमा पर था.
- देश में उच्च जाति व नीची जाति के बीच इतनी बड़ी खायी थी जिसे कोई पाट नहीं सकता था.
- उस समय में भी वे एक अलग सोच रखकर अपने जीवन को एक नयी दिशा देने की ओर आगे बढ़े.
- 1897 में उनका पूरा परिवार बॉम्बे में जा बसा जहाँ से उनकी शिक्षा आरंभ हुई थी.
- इस बीच उन्होंने एक दलित परिवार से ताल्लुख रखने का दंश भी झेला था.
- जिसके बाद उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से स्नातक किया था, जिसके बाद उन्हें यूएस जाने का मौक़ा मिला.
- जिसके बाद उन्होंने यूएस की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से अपनी परास्नातक की शिक्षा ग्रहण की.
- यही नही उन्होंने लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से भी परास्नातक की डिग्री हांसिल की थी.
संविधान में बाबा साहेब का योगदान :
- 15 अगस्त 1947 में देश के आज़ाद होने के साथ ही जब जवाहर लाल नेहरु देश के प्रथम प्रधानमंत्री बने थे,
- तो उन्होंने बाबा साहेब को अपने मंत्रालय में कानून मंत्री के पद पर कार्यरत किया था.
- जिसके बाद वे भारतीय संविधान की ड्राफ्टिंग समिति के चेयरमैन चुने गए थे,
- जो इस दिशा की ओर उनका पहला कदम था.
- आपको बता दें कि एक चेयरमैन होने के साथ ही वे इस संविधान के लेखक,
- मसौदा, फ्रेमर व मुख्य प्रस्तावक भी थे.
- इसके अलावा इस समिति का एक अहम भाग होने के चलते उन्होंने सभी सदस्यों को भारत के प्रत्येक वर्ग को एक समान अधिकार देने के लिए भे प्रेरित किया था.
- बताया जाता है कि उनके सतत प्रयासों के चलते ही देश का संविधान पहला सामाजिक दस्तावेज़ बन पाया था.
- इसके अलावा उन्होंने इस बात का पूरा ध्यान रखा था कि इस संविधान में नागरिक स्वतंत्रता प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक जैसी हो.
- आपको बता दें कि संविधान के निर्माण के दौरान महिलाओं का भी उनता ही ध्यान रखा था जितना पुरुषों का.
- जिसके तहत इस संविधान कें उन्होंने महिलायों के लिए भी सभी तरह के अधिकारों में समानता का उपनियम डाला था.
- यही नहीं देश में विद्दमान कई पिछड़ी जातियों व जनजातियों के उद्धार के लिए उन्होंने कई नियम संविधान में जोड़े थे.
- हालाँकि आज के समय में इस संविधान में कई तरह के संशोधन किये जा चुके हैं,
- परंतु फिर भी आज भी इस संविधान का सार मौजूद है.
- जिसने देश को एक नए आयाम पर पहुंचाया था,
- साथ ही देश को कई तरह की सोच को बदलने पर मजबूर किया था.
- बता दें कि यह संविधान ही था जिसके कारण आज देश में एक खुली सोच व हर वर्ग के लोग अपना हक़ ले पा रहे हैं.
- जिसके लिए इस संविधान को इस तरह निर्मित करने का श्रेय बाबा साहेब अम्बेडकर को ही जाता है.