मेजर ध्यान चंद (Major Dhyan Chand) को भारत-रत्न दिए जाने की मांग लम्बे समय करती चली चली आ रही है। विगत 10 जून को आयोजित एक सामाजिक-कार्यक्रम में जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी मुख्य अतिथि थे।
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- उस कार्यक्रम में ध्यान चंद के पुत्र अशोक कुमार भी उपस्थित थे।
- जिनसे बार का एक प्रतिनिधि-मण्डल संयुक्त-सचिव पंकज कुमार शुक्ला और डी.एस.तिवारी के नेतृत्व में मिला था।
- प्रतिनिधि मंडल से अशोक कुमार ने मेजर ध्यान चंद को भारत रत्न के लिए संघर्ष करने की बात कही।
- इस बात की जानकारी बार के जनरल सेक्रेटरी विजय कुमार पाण्डेय को मिली तो उन्होंने बार के सदस्यों और कमेटी के पदाधिकारियों के समक्ष संघर्ष आगे बढ़ाने की मांग रखी और इसके लिए हर सम्भव संघर्ष का आश्वासन दिया।
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पौधा लगाकर की संघर्ष की शुरुआत
- ए.ऍफ़.टी.बार के अध्यक्ष डा.चेत नारायण सिंह ने कहा कि हमारी बार इस विषय के प्रति गम्भीर है।
- मुद्दे पर मजबूती से कार्य करेगी और भारत-रत्न मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा।
- इस संघर्ष की स्मृति में डा. चेत नारायण सिंह, बार के जनरल सेक्रेटरी विजय कुमार पाण्डेय एवं डी.एस.तिवारी ने ‘मेजर ध्यान चंद भारत-रत्न स्मृति वृक्ष’ लगाकर संघर्ष की शुरुआत की।
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हाकी के जादूगर थे मेजर ध्यान चंद
- बार के जनरल सेक्रेटरी विजय कुमार पाण्डेय ने कहा कि हाकी के जादूगर, (Major Dhyan Chand) पितामह और वर्तमान हाकी प्रेमियों के प्रणेता मेजर ध्यान चंद ने ‘लंदन फॉकस्टोन फेस्टीवल’, समर ओलंपिक’ नीदरलैण्ड, लॉस एंजेल्स ओलंपिक, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया का दौरा और समर ओलंपिक में सम्पूर्ण विश्व का ध्यान भारत की तरफ आकर्षित किया।
- भारत को गौरवान्वित किया लेकिन आज तक उपेक्षित किया गया।
- आज राज्यपाल के माध्यम से मांग को बल प्रदान करने के लिए समय की मांग की गयी है।
- आज तक देश उन्हें भारत-रत्न से न नवाज सका बहुत ही शर्मनाक है लेकिन, अब हम बिलकुल इंतज़ार की स्थिति में नहीं हैं।
- इसलिए राज्यपाल के माध्यम से भारत सरकार पर दबाव का आग्रह करने के लिए समय मांगा गया है।
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विश्व में भारतीय राष्ट्रीय खेल को पहचान दिलाई
- पूर्व जनरल सेक्रेटरी डी.एस. तिवारी ने कहा कि विश्व में भारतीय राष्ट्रीय खेल को पहचान दिलाने वाली सख्सियत की उपेक्षा को अब हम और आगे नहीं खींच सकते।
- उन्होंने कहा कि ध्यान चंद ने पूर्वी अफ्रीका के विरुद्ध 22 मैच खेले।
- जिनमें उन्होंने 61 गोल बनाए, उनके लिए ‘पद्मभूषण’ और जन्म को खेल दिवस के रूप में मनाने मात्र से देश संतुष्ट नहीं होने वाला अब देश को भारत रत्न से मेजर ध्यान चंद को नवाजा जाना चाहिए।
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- इसके लिए राज्यपाल से अनुमति मांगी गयी है।
- संघर्ष को बल प्रदान करने के लिए अन्य वर्गों को भी जोड़ा जायेगा।
- संयुक्त-सचिव पंकज शुक्ला ने कहा कि हमारी बार अब ध्यान चंद को भारत-रत्न दिलाने की मांग जोरदार ढंग से उठाएगी।
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- बार के प्रमुख सदस्य शमशाद आलम ने कहा कि उपेक्षा को स्वीकार करने की समय सीमा होती है।
- हिटलर जिसको न झुका सका आज देश उसको सम्मानित करने से कतरा रहा है लेकिन, अब हमारी बार अपनी मांग को जोरदार तरीके से उठाने और लोंगों के बीच जाकर जनमत-संग्रह कराकर सरकार पर दबाव बनाने की मुहीम शुरू करेगी।
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- बैठक में उपस्थित अधिवक्ता रोहित कुमार, अनुराग मिश्रा, भानु प्रताप सिंह, विशाल भटनागर, पारिजात बेलोरा, कविता मिश्रा, कविता सिंह वी.पी.पाण्डेय, डी.के.पाण्डेय, डॉ.आशीष अस्थाना, आशीष कुमार सिंह, सूर्य भान सिंह, जे.एन.राय, हेमलता, आर.एन.त्रिपाठी, रोहित कुमार, (Major Dhyan Chand) शैलेन्द्र कुमार सिंह एवं के.के.एस.बिस्ट ने समर्थन किया।
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Sudhir Kumar
I am currently working as State Crime Reporter @uttarpradesh.org. I am an avid reader and always wants to learn new things and techniques. I associated with the print, electronic media and digital media for many years.