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धनतेरस 2018: एक हजार करोड़ से ऊपर का होगा कारोबार

Dhanteras 2018 Celebration Business will Above One Thousand Crore in Lucknow

Dhanteras 2018 Celebration Business will Above One Thousand Crore in Lucknow

धनतेरस हिंदू धर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। आज से पांच दिवसीय दीप पर्व शुरू हो गया है। महालक्ष्मी के स्वागत के लिए हजरतगंज, अमीनाबाद, चौक, आलमबाग, महानगर, भूतनाथ, पत्रकार पुरम स्थित सोने, चांदी, हीरे के गहने, इलेक्ट्रॉनिक, आइटम्स, साड़ी, रेडीमेड कपड़े, मिठाईयां, कंप्यूटर, कार और बाइक के शोरूम दुल्हन की तरह से सजे हैं। धनतेरस के शुभ दिन पर लोग नए बर्तन, सोना/चांदी खरीदना शुभ मनाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि यह कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी खुश होकर परिवारों पर धन की वर्षा होती है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]सबसे ज्यादा कारोबार ज्वेलरी और ऑटोमोबाइल का कारोबार[/penci_blockquote]
धनतेरस पर गहने, कार, बाइक घर ले जाने के लिए लोगों ने रविवार देर रात तक बुकिंग कराई। कारोबारियों का अनुमान है कि राजधानीवासी इस बार 1300 करोड़ रुपए की खरीद-फरोख्त कर सकते हैं। धनतेरस पर सबसे ज्यादा कारोबार ज्वेलरी और ऑटोमोबाइल का होगा। इसमें 400 करोड़ से अधिक की कार एवं बाइक बिकने की उम्मीद है। कारोबारियों ने बताया कि ज्वेलरी शोरूम में 50-50 लाख रुपए के डायमंड सेट को सजाया गया है। धनतेरस की पूर्व संध्या पर पांच से 9 लाख रुपये के ब्रांडेड सोने के सेट भी लोगों को आकर्षित कर रहे थे। इसके अलावा सोने के छोटे-छोटे आइटम्स, चेन, टप्स, अंगूठी, झुमके, कंगन, हार बंपर सेल हो रही है। चौक के कारोबारी आदीश जैन के अनुसार, पिछली धनतेरस पर 92 किलो सोने के अनब्रांडेड गहने 28 करोड़ 22 लाख रूपये में बिके थे। जबकि 3. 60 कुंतल चांदी के गहने 1.70 करोड़ में विके थे। इससे पहले वर्ष 2015 में धनतेरस पर 85 किलो सोना एवं 3 कुंतल चांदी क्रमशः 23 करोड़ 50 लाख एवं 1 करोड़ एवं 25 लाख रूपये में बिकी थी।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]क्‍या है धनतेरस पूजा का मुहूर्त[/penci_blockquote]
धनतेरस पर पूजा का समय- सुबह 07:07 से 09:15 बजे तक। दोपहर 01:00 से 02:30 बजे तक।
प्रदोष काल का समय 17:31 से 20:04 तक रहेगा, स्थिर लग्न 18:10 से 20:09 तक रहेगा। धनतेरस की पूजा के लिए उपयुक्त समय 18:10 से 20:04 के मध्य तक रहेगा।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]सांय काल में शुभ महूर्त[/penci_blockquote]
➡सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 24 की अवधि को प्रदोषकाल के नाम से जाना जाता है। प्रदोषकाल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन करना शुभ है।
➡दिल्ली में 5 नवम्बर सूर्यास्त समय सायं 17:30 तक रहेगा। इस समय अवधि में स्थिर लग्न 18:10 से लेकर 20:09 तक वृषभ लग्न रहेगा। मुहुर्त समय में होने के कारण घर-परिवार में स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]चौघाडिया मुहूर्त:-[/penci_blockquote]
अमृ्त काल मुहूर्त 16:30 से 18:00 तक।
चर 18:56 से लेकर 19:30 तक।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]धनतेरस की कथा (Story of Dhanteras)[/penci_blockquote]
एक किवदन्ती के अनुसार एक राज्य में एक राजा था, कई वर्षों तक प्रतिक्षा करने के बाद, उसके यहां पुत्र संतान कि प्राप्ति हुई। राजा के पुत्र के बारे में किसी ज्योतिषी ने यह कहा कि, बालक का विवाह जिस दिन भी होगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृ्त्यु हो जायेगी। ज्योतिषी की यह बात सुनकर राजा को बेहद दु:ख हुआ, ओर ऎसी घटना से बचने के लिये उसने राजकुमार को ऎसी जगह पर भेज दिया, जहां आस-पास कोई स्त्री न रहती हो, एक दिन वहां से एक राजकुमारी गुजरी, राजकुमार और राजकुमारी दोनों ने एक दूसरे को देखा, दोनों एक दूसरे को देख कर मोहित हो गये, और उन्होने आपस में विवाह कर लिया। ज्योतिषी की भविष्यवाणी के अनुसार ठीक चार दिन बाद यमदूत राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचें। यमदूत को देख कर राजकुमार की पत्नी विलाप करने लगी। यह देख यमदूत ने यमराज से विनती की और कहा की इसके प्राण बचाने का कोई उपाय बताईयें। इस पर यमराज ने कहा की जो प्राणी कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात में जो प्राणी मेरा पूजन करके दीप माला से दक्षिण दिशा की ओर मुंह वाला दीपक जलायेगा, उसे कभी अकाल मृ्त्यु का भय नहीं रहेगा। तभी से इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाये जाते है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]मां लक्ष्‍मी को करें प्रसन्‍न[/penci_blockquote]
धनतेरस’ के दिन, हिन्दू देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती हैं। जो धन की देवी हैं। धनतेरस से हिंदू लोग दिवाली के बेहद लोकप्रिय त्योहार की शुरूआत करते हैं। धनतेरस देश भर में हिंदू परिवारों और दुनिया के लिए एक शुभ अवसर होता है। धनतेरस पर देवी लक्ष्मी के अलावा कुबेर के लिए भी यह पूजा की जाती है, जो धन के देवता हैं।

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