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मथुरा: कृषि कानूनों के खिलाफ किसान जगह जगह अपनी पकी हुई फसलों को जोत रहे हैं

मथुरा: कृषि कानूनों के खिलाफ किसान जगह जगह अपनी पकी हुई फसलों को जोत रहे हैं

मथुरा: कृषि कानूनों के खिलाफ किसान जगह जगह अपनी पकी हुई फसलों को जोत रहे हैं

मथुरा-

केंद्र सरकार के द्वारा बनाए गये तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार चल रहा किसान आंदोलन इस कदर तूल पकड़ता जा रहा है कि किसान जगह जगह अपनी पकी हुई फसलों को जोत रहे हैं। किसानों में आक्रोश है कि सरकार के द्वारा लगातार पेट्रोल डीजल के दामों में वृद्धि की जा रही है। साथ-साथ फसलों में लगने वाली लागत ज्यादा है और बाजार में जब फसल को बेचने जाते हैं तो उसका मूल्य कम मिलता है इसीलिए किसान अपनी खड़ी हुई फसल को जोत रहे है। वहीं किसान पप्पू ने कहा कि अगर सरकार किसानों की बात नहीं मानती है तो किसान आत्महत्या करने पर भी मजबूर होंगे। दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन की आग और लगातार बढ़ती जा रही है हर जगह पंचायतें हो रही है कि सरकार के द्वारा जो बिल पारित किए गये हैं उन्हें किस तरह सरकार पर दबाव बनाकर रद्द कराया जाए। विरोध में देश में जगह-जगह अपनी खड़ी फसलों को किसान जोत रहे हैं। ऐसा ही एक मामला जनपद मथुरा के तहसील छाता के गांव उमराया में सामने आया है जहां पर किसानों ने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ में विरोध करते हुए अपनी खड़ी हुई गेहूं की फसल को जोतना शुरू कर दिया।जब इस संबंध में किसानों से बात की तो उन्होंने बताया कि सरकार अपनी मनमानी करती जा रही है किसान पर कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है लेकिन उनकी फसल का मूल्य नहीं मिल पाता है खेत में इतने की फसल नहीं होती जितना उसमें खर्चा आ जाता है और सरकार लगातार डीजल को भी बढ़ाती जा रही है इसका असर भी किसानों पर पड़ेगा अगर सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है तो हम आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएंगे क्योंकि किसान कर्ज में डूबता जा रहा है। किसान राजाराम ने कहा कि सरकार द्वारा हमारी खेती में काम आने वाले यूरिया खाद को भी महंगा कर दिया है जिसकी वजह से हम अब अपनी फसल में कुछ भी नहीं बचा सकते जितने की फसल होती है उससे ज्यादा तो खर्च हो जाता है। इस संबंध में उपजिलाधिकारी छाता हनुमान प्रसाद मौर्य से बात की तो उन्होंने बताया कि अभी तक ऐसा मामला संज्ञान में नहीं आया है अगर आता है तो हम सभी किसान भाइयों से अनुरोध करते हैं कि वह इस तरह का काम ना करें फसल को ना जोते उनकी जो भी मांगे हैं उन्हें लिखित रूप में दें हम उनकी बातों को सरकार तक पहुंचाने में उनकी मदद करेंगे।

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