Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
Uttar Pradesh

बड़े भाई का करिश्मा और छोटे भाई के राजनीतिक मैनेजमेंट की देन है ‘सपा’!

mulayam-concerned

ये एक हिंदी फिल्म ‘राजनीति’ का डायलॉग है लेकिन सपा की कहानी इससे बहुत मिलती जुलती है या कहें तो वर्तमान परिदृश्य में बिल्कुल फिट बैठती है।

अपने दम पर खड़ी की पार्टी मुलायम ने:

बड़े भाई यानी मुलायम सिंह यादव ने गांव-गांव और शहर-शहर साइकिल यात्रा करके लोगों के बीच एक पहचान स्थापित की। लोहिया सिद्धान्त पर मीलों पैदल चलते हुए प्रदेश की जनता को इस चेहरे से रूबरू कराया। यूपी की सियासत में यादवों के विकास और उत्थान का भरोसा दिलाया। इसे जातिवाद कहा जा सकता है और है भी। लेकिन अचानक कहीं से भी कोई आकर एक नयी पार्टी बना लेना उस वक्त आसान काम नही था। विचारों और सिद्धांतों की लड़ाई कही जाती थी राजनीति उस वक्त तक। ऐसे समय में इस सख्स ने अपने खून के हर कतरे को इस पार्टी के गठन और उसकी मजबूती में लगाया।

शिवपाल साये की तरह रहे साथ:

बदलाव उस वक्त भी आया था देश की राजनीति में। इस सख्स ने जनता के बीच ऐसा संपर्क अभियान चलाया जो आज केवल हेलीकॉप्टर के माध्यम से संभव है। लेकिन वो सब इस व्यक्ति ने पैदल और साइकिल पर मीलों यात्रा करके किया। इस यात्रा में उनका साथ दिया छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ने। यूँ तो शिवपाल और मुलायम में कई असमानताएं नजर आ सकती हैं लेकिन पार्टी के गठन और उसके संचालन में समर्पण की जो भावना शिवपाल ने दिखाई, उसे मुलायम सिंह यादव शायद ही भूलना चाहेंगे।

पार्टी को चेहरे और एजेंडे के अलावा और भी चीजों की जरुरत होती है। शिवपाल पार्टी के लिए वो सख्स थे जिन्होंने ये जरूरतें पूरी की। पार्टी के लिए फण्ड का इंतजाम हो या फिर प्रचार तंत्र, ये शिवपाल ने अपने कंधों पर ले लिया। बड़े भाई के साथ ऊँगली पकड़कर राजनीति का ककहरा सीखने वाले छोटे ने कभी अपनी महत्वकांक्षा को जाहिर नहीं किया। मुलायम सिंह यादव और उनके निर्देशों को ही अपने लिए आदेश मानते आये शिवपाल ने पार्टी के लिए लगातार काम किया।

बात यहाँ तरीके की नहीं है, किस तरीके से शिवपाल ने ये किया। तरीका चाहे जो भी रहा हो लेकिन एक पार्टी को मजबूत पार्टी बनाने के लिए जरुरी स्तंभों का इंतजाम शिवपाल यादव ने ही किया। राजनीति में सबकुछ जायज है, ऐसा अक्सर कहा जाता रहा है। लेकिन शिवपाल और मुलायम के बीच जो संवाद था वो सीधा था। किसी तीसरे जरिये की जरुरत नही थी। संवाद स्थापित करने के लिए किसी की जरुरत पड़ने लगे तो संवाद की प्रमाणिकता खतरे में आ जाती है।

क्या बिखरने से बचा पाएंगे कुनबे को मुलायम:

पार्टी में निर्विवाद रूप से मुलायम सिंह यादव का वर्चस्व रहा है। शिवपाल मुलायम के भाई होने के साथ उनके भक्त भी हैं। मुलायम सिंह यादव का हर निर्देश उनके लिए आदेश है। लेकिन मुलायम सिंह यादव को असली चुनौती अपने बेटे अखिलेश और दूसरे भाई रामगोपाल से मिलने लगी है। ऐसे में सपा प्रमुख के लिए फैसला करना आसान नही होगा।

खून-पसीने से सींच कर खड़ी की गयी पार्टी आज वर्चस्व की जंग में अपनी बलि देगी या फिर मुलायम सिंह यादव ही तारणहार की भूमिका निभाते हुए समाजवादी पार्टी को बचाकर और इस संकट की घड़ी से निकालकर आगे लाने में कामयाब होंगे।

Related posts

Exclusive Report:- बुलंदशहर – नन्ही किन्नर को मिला सहारा।

Desk
3 years ago

आजमगढ़: हत्या के लिये आया शार्प शूटर राजन पासी साथियों सहित गिरफ्तार

Sudhir Kumar
6 years ago

तेल ‘चोर’ पंप वालों पर दर्ज होगी FIR!

Kamal Tiwari
7 years ago
Exit mobile version