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मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद गैंगस्टर एक्ट की फाइल बंद

मुन्ना बजरंगी पर चल रहे केस,जिनमें रामपुर थाने में चल रहे गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे सहित सभी फाइलें बंद कर दी गयी हैं. बता दें कि 9 जुलाई को बागपत जिला जेल में बंद पूर्वांचल के कुख्यात माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या हो चुकी है जिसके बाद उसपर दर्ज मुकदमें बंद करने का कोर्ट ने आदेश दिया है.

रामपुर थाने में दर्ज था गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा: 

डान मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद उस पर गैंगस्टर एक्ट पर लगे मुकदमों को बाद करने का आदेश आया हैं. इसके अंतर्गत कई मामलों में संलिप्त मुकदमों की फाइलें बंद करवा दी गयी हैं.
बता दें कि रामपुर थाना समेत अलग-अलग मिली रिपोर्ट पर मुकदमा समाप्त किया गया है. इसके लिए कोर्ट ने केस समाप्त कर पत्रावली को दफ्तर में दाखिल करने का आदेश जारी किया है.
गौरतलब है कि 8 जनवरी 1998 को मुन्ना बजरंगी पर थानाध्यक्ष राम लखन द्वारा रामपुर थाने में गैंगस्टर एक्ट की धारा 3(1) के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। मुन्ना इस मामले में मुख्य आरोपी था. मुकदमा गवाही में चल रहा था। इस बीच बागपत जेल में 9 जुलाई को गोली मार कर मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी गयी. जिसके बाद अब कोर्ट ने उसके रामपुर थाना समेत अलग-अलग मिली रिपोर्ट पर मुकदमा समाप्त करने का आदेश दिया है.

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कौन है मुन्ना बजरंगी?

मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है। उसका जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे. मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी ने उनके अरमानों को कुचल दिया। उसने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। किशोर अवस्था तक आते आते उसे कई ऐसे शौक लग गए जो उसे जुर्म की दुनिया में ले जाने के लिए काफी थे।

मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था। वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। यही वजह थी कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा। वह जरायम के दलदल में धंसता चला गया।

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ऐसे गिरफ्तार हुआ था मुन्ना:

उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे। वह पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था। उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं। लेकिन 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था।

माना जाता है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था। इसलिए उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से अपनी गिरफ्तारी कराई थी।

मुन्ना की गिरफ्तारी के इस ऑपरेशन में मुंबई पुलिस को भी ऐन वक्त पर शामिल किया गया था। बाद में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि दिल्ली के विवादास्पद एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह की हत्या में मुन्ना बजरंगी का हाथ होने का शक है।

इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया। तब से उसे अलग अलग जेल में रखा जा रहा है। इस दौरान उसके जेल से लोगों को धमकाने, वसूली करने जैसे मामले भी सामने आते रहे हैं। मुन्ना बजरंगी का दावा है कि उसने अपने 20 साल के आपराधिक जीवन में 40 हत्याएं की हैं।

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